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( ३४२ ) प्रसंगोऽहम् प्रसंगोऽहम् प्रसंगोऽहम् पुनः पुनः ।
सच्चिदानन्द रूपोऽहम् अहमेवाहमव्ययः ॥ मैं पुनः पुनः (शरीर, मन तथा बुद्धि से) असंग हूं । स्वभाव से सत्+चित्+आनन्द हूँ और मैं सनातन, अजन्मा तथा अविनाशी प्रात्म-स्वरूप हूँ ।
ॐ तत् सत् हरिः ओ३म्
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