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छः काय के बोल
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जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट ४६ दिन का है । इनका "कुल" आठ लक्ष करोड़ जानना । चौरिन्द्रिय :
जिसके १ काय २ मुख ३ नासिका ४ चक्षु (आख) ये चारइन्द्रिय होवे उसे चौरिन्द्रिय कहते है । जैसे- १ भँवरे १ भँवरी ३ बिच्छू ४ मक्खी ५ तीड (टीढ) ६ पतग ७ मच्छर - मसेल & डांस १० मस ११ तमरा १२ करोलिया १३ कसारी १४ तोड़ गोड़ा १५ फुंदी १६ कैकड़े १७ बग १५ रूपेली आदि चौरिन्द्रिय के अनेक भेद है । इनका आयुष्य जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट छ माह का है । "कुल" नव लक्ष करोड़ जानना ।
पंचेन्द्रिय के भ ेद :
जिसके १ काय २ मुख ३ नासिका ४ नेत्र ५ कान - ये पांच इन्द्रिय हो उसे पचेन्द्रिय कहते हैं । इनके चार भेद १ नारक २ तिर्यच ३ मनुष्य ४ देव ।
१ नरक का विस्तार :
नरक के सात भ ेद . १ घम्मा १ वशा ३ शिला ४ अंजना ५ रीष्टा ६ मघा ७ माघवती ।
सात नरक के गोत्र :
१ रत्नप्रभा २ शर्कराप्रभा ३ बालुप्रभा ४ पकप्रभा ५ धूमप्रभा ६ तमस्प्रभा ७ तमस् तमः प्रभा । सात नरक के ये सात गोत्र गुणनिष्पन्न है, जैसे:——
१ रत्नप्रभा मै रत्न के कुण्ड है ।
२ शर्कराप्रभा मे मरड़िया आदि ककर है ।
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बालुप्रभा मे बालु (रेत) है |