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जैनागम स्तोक संग्रह १ औदारिक शरीर काय योग २ औदारिक मिश्र शरीर काय योग ३ कार्मण शरीर काय योग । वायु काय में योग पांच-१ औदारिक शरीर काय योग २ औदारिक मिश्र शरीर काय योग ३ वैक्रिय शरीर काय योग ४ वैक्रिय मिश्र शरीर काय योग ५ कार्मण शरीर काय योग।
१७ उपयोग द्वार : पांच एकेन्द्रिय में उपयोग तीन १ मति अज्ञान २ श्रुत अज्ञान ३ अचक्ष दर्शन ।
१८ आहार द्वार : पाच एकेन्द्रिय तीन दिशाओं का, चार दिशाओ का, पांच दिशाओं का आहार लेवे व्याघात न पड़े तो छ दिशाओं का आहार लेवे। आहार दो प्रकार का है-१ ओजस २ रोम । ये १ सचित २ अचित ३ मिश्र तीनों तरह का लेते है ।
१६ उत्पत्ति द्वार २२ च्यवन द्वार : पृथ्वी, अप्, वनस्पति काय मे नरक छोड़ कर शेष २३ दण्डक का आवे और दश दण्डक मे जावे-पांच एकेन्द्रिय तीन विकलेन्द्रिय, मनुष्य व तिर्यच एवं दश दण्डक । __ तेजस् काय, वायु काय में दश दण्डक का आवे-पाँच एकेन्द्रिय, तीन विकलेन्द्रिय, मनुष्य, तिर्यंच-एवं दश और नव दण्डक में जावे, मनुष्य छोड़ कर शेष ऊपर समान ।
२० स्थिति द्वार : पृथ्वी काय की स्थिति जघन्य अन्तरमुहूर्त की उत्कृष्ट बावीस हजार वर्ष की।
अप काय की जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट सात हजार वर्ष