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जैनागम स्तोक संग्रह
आदि, ३६ सचित नमक, ४० सेंधा नमक, ४१ सांभर नमक, ४२ धूलखारा का नमक, ४३ समुद्र का नमक, ४४ काला नमक ये सर्व सचित नमक भोगवे (खावे व वापरे) तो
अनाचार लागे। ४५ कपड़े को धूप आदि से सुगन्धमय बनावे तो अनाचार लागे। ४६ भोजन करके वमन करे तो अनाचार लागे। ४७ बिना कारण रेचन (जुलाब) आदि लेवे तो अनाचार लागे । ४८ गुह्य स्थानो को धोवे, साफ करे तो अनाचार लागे। ४६ आंख में अंजन, सुरमा आदि लगावे तो अनाचार लागे । ५० दांतो को रंगावे तो अनाचार लागे। ५१ शरीर को तेल आदि लगाकर सुन्दर बनावे तो अनाचार
लागे। ५२ शरीर की शोभा के लिए बाल, नख आदि उतारे तो अना
चार लागे। उपरोक्त ५२ अनाचारो को टाल कर साधु-साध्वी सदा निर्मल चारित्र पाले।
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