Book Title: Jainagam Stoak Sangraha
Author(s): Maganlal Maharaj
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 537
________________ नारकी का नरक वर्णन ५१९ घनवायु द्वार : प्रत्येक नरक के घनोदधि नीचे असंख्य यो० का घनवायु है। तनवायु द्वार प्रत्येक नरक के घनवायु नीचे असंख्य यो० का तनवायु है। आकाश द्वार . प्रत्येक नरक के तनवायु नीचे असंख्य यो० का आकाश है। नरक-नरक का अन्तर : एक नरक में दूसरी नरक से असख्यअसंख्य योजन का अन्तर है। नरक वासा द्वार : पहली नरक में ३० लाख, दूसरी में २५ लाख, तीसरी में १५ लाख, चौथी मे १० लाख, पाचवी मे ३ लाख, छट्ठी में ६६६६५ और सातवी नरक मे ५ नरक वासा है। इनमे है नरक वासा असख्यात योजन का है, जिनमें असख्यात नेरिये है। नरक वासा सख्यात योजन का है और उनमे संख्यात नेरिया है। तीन चिमटी बजाने में जम्बूद्वीप की २१ बार प्रदक्षिणा करने की गति वाले देवो को जघन्य १-२-३ दिन, उ० ६ माह लगे । कितनों का अन्त आवे और कितनो का नही आवे एवं विस्तार वाला असख्य योजन का कोई कोई नरक वासा है। आलोक अन्तर, वलीया द्वार अलोक और नरक में अन्तर है, जिसमे घनोदधि, घनवायु और तनवायु का तीन वलय ( चूडी कडा) के आकार समान आकार है : नरक रत्न प्र० शर्कर वालु प्र० पड्क प्र० धूम प्र० तम प्र० तमतमा प्र० __ अलोक अं० १२यो. १२यो. १३यो. १४यो. १४३यो १५३. १६ यो० वलय स० ३ ३ ३ ३ ३ ३ ३ घनोदधि ६ यो ६यो. ६ यो. ७ यो. ७१ यो. ७३ यो. ८ , घनवात ४॥ यो. ४, ५, ५१, ५, ५ , ६ , तनवात १॥ , १॥ १॥३२, १॥॥ ,, १ १,१॥३, २ on nau

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