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द्रव्य - ( जीवा जीव )
( श्री भगवती सूत्र, शतक २५ उ० २ )
द्रव्य दो प्रकार का है - जीव द्रव्य और अजीव द्रव्य ।
क्या जीव द्रव्य संख्याता, असंख्याता तथा अनन्ता है ? अनन्ता है । कारण कि जीव अनन्त है ।
अजीव द्रव्य संख्याता, असंख्याता तथा क्या अनन्ता है ? अनन्ता है । कारण कि अजीव द्रव्य पांच है :- धर्मास्तिकाय, अधर्मास्ति काय, असंख्याता प्रदेश है । आकाश और पुदूगल के अनन्त प्रदेश है । और काल वर्तमान एक समय है भूतभविष्यापक्षा अनन्त समय है; इस कारण जीव द्रव्य अनन्ता है ।
प्र० -- जीव द्रव्य, अजीव द्रव्य के काम में आते है कि अजीव द्रव्य जीव द्रव्य के काम मे आते है ।
उ०- जीव द्रव्य अजीव द्रव्य के काम में नही आते, परन्तु अजीव द्रव्य जीव द्रव्य के काम में आते है । कारण कि - जीव अजीव द्रव्य को ग्रहण करके १४ बोल उत्पन्न करते है यथा-१ औदारिक, २ वैक्रिय, ३ आहारक, ४ तेजस, ५ कार्मरण शरीर, ५ इन्द्रिय; ११ मन, १२ वचन, १३ काया और १४ श्वासोश्वास ।
प्र० - अजीव द्रव्य के नारकी के नेरिये काम आते है कि नेरिये के अजीव द्रव्य काम आते है ?
उ०- अजीव द्रव्य के नेरिये काम नही आते, परन्तु नेरिये के अजीव द्रव्य काम आते है । अजीव का ग्रहण करके नेरिये १२ बोल उत्पन्न करते हैं ।
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