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जैनागम स्तोक संग्रह
पादोपगमन - ( वृक्ष की कटी हुई डाल समान हलन चलन किये बिना पड़े रहे। इस प्रकार का संथारा करके स्थिर हो जाना) अनशन के दो भेद - १ व्याघात (अग्नि- सिहादि का उपद्रव आने से ) अनशन करे जैसे सुकोशल तथा अति सुकुमाल मुनियों ने किया । २ निर्व्याघात ( उपद्रव रहित ) जावजीव का पादोपगमन करे । इनको प्रतिक्रमणादि करने की कुछ आवश्यकता नही एक प्रत्याख्यान अनशन वाला जरूर करे ।
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उनोदरी तप के २ भेद - द्रव्य उनोदरी और भाव उनोदरी द्रव्य उनोदरी के २ भेद (१) उपकरण उनोदरी ( वस्त्र, पात्र और इष्ट वस्तु जरूरत से कम रक्खे - भोगवे ) २ भाव उनोदरी के अनेक प्रकार है । यथा अल्पाहारी : कवल (कवे) आहार करे, अल्प अर्ध उनोदरी वाले १२ कवल ले, अर्ध उनोदरी करे तो १६ कवल ले, पौन उनोदरी करे तो २४ कवल ले, एक कवल उनोदरी करे तो ३१ कवल ले, ३२ कवल का पूरा आहार समझना । जितने कवल कम लेवे उतनी ही उनोदरी होवे उनोदरी से रसेद्रिय जीताय, काम जीताय, निरोगी होवे ।
भाव उनोदरी के अनेक भेद - अल्प क्रोध, अल्प मान, अल्प माया, अल्प लोभ, अल्प राग, अल्प द्वेष, अल्प सोवे, अल्प
बोले आदि ।
वृत्ति सक्षेप ( भिक्षाचरी) के अनेक भेद - अनेक प्रकार के अभिग्रह धारण करे जैसे द्रव्य से अमुक वस्तु ही लेना, अमुक नही लेना । क्षेत्र से अमुक घर, गांव के स्थान से ही लेने का अभिग्रह | काल से अमुक समय, दिन को व महीने में ही लेने का अभिग्रह | भाव से अनेक प्रकार के अभिग्रह करे जैसे बर्तन बर्तन मे डालता देवे तो कल्पे, अन्य को कल्पे, अमुक वस्त्र आदि वाले तथा अमुक से देवे तो कल्पे इत्यादि अनेक प्रकार के अभिग्रह धारण करे |
में से निकालता देवे तो कल्पे, देकर पीछे फिरता देवे तो प्रकार से तथा अमुक भाव
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