Book Title: Jainagam Stoak Sangraha
Author(s): Maganlal Maharaj
Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar

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Page 593
________________ चरमाचरम (श्री पन्नवणा सूत्र, दसवा पद ) द्वार ११-१ गति, २ स्थिति, ३ भव, ४ भाषा, ५ श्वासोश्वास, ६ आहार, ७ भाव, ८ वर्ण, ६ गध, १० रस, ११ स्पर्श द्वार । १ गति द्वार-गति अपेक्षा जीव चरम भी है और और अचरम भी है । जिस भव मे मोक्ष जाना है वह गति चरम और अभी भव बाकी है वो अचरम, एक जीव अपेक्षा और २४ दण्डक अपेक्षा ऊपरवत् जानना । अनेक जीव तथा २४ दण्डक के अनेक जीव अपेक्षा भी चरम अचरम ऊपर अनुसार जानना। २ स्थिति द्वार- स्थिति अपेक्षा एकेक जीव, अनेक जीव २४ दण्डक के एकेक जीव और २४ दण्डक के एकेक जीव और २४ दण्डक के अनेक जीव स्यात् चरम, स्यात् अचरम है। ३ भव द्वार-इसी प्रकार एकेक और अनेक जीव अपेक्षा समुच्चय जीव और २४ दण्डक भव अपेक्षा स्यात् चरम है, स्यात् अचरम है। ४ भाषा द्वार-भाषा अपेक्षा ११ दण्डक ( स्थावर सिवाय के ) एकेक और अनेक जीव चरम भी है और अचरम भी है। ५ श्वासोश्वास द्वार-श्वासोश्वास अपेक्षा सब चरम भी है, अचरम भी है। ____ ६ आहार-अपेक्षा यावत् २४ दण्डक 'के जीव चरम भी है, अचरम भी है। ८ से ११ वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श के २० बोल अपेक्षा यावत् २४ दण्डक के एकेक और अनेक जीव चरम भी है, अचरम भी है। * ५७५

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