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संख्यादि २१ बोल अर्थात् डालापाला
संख्या के १ बोल है :-१ जघन्य सख्याता, २ मध्यम संख्याता, ३ उत्कृष्ट संख्याता । असंख्याता के नव भेद। १ ज० प्र० असंख्यात ४ ज० युक्ता अ० ७ ज० अ० अ० २ म० , ५ म० , , ८ म० । " ३ उ० , , ६ उ० , , ९ उ० , ,
अनन्ता के ६ भेद १ ज० प्रत्येक अनंता ४ ज० युक्ता अनंता ७ ज० अ० अ० २ म० , ५ म० , , ८ म० " ., ३ उ० , , ६ उ० ., , ६ उ० , ,
ज० संख्याता मे एक दो तक गिनना म० सख्याता मे तीन से आगे यावत् उ० संख्याता में एक न्यून उ० सख्याता के लिये माप बताते है
चार पाला-( १ ) शीलाक ( २ ) प्रति शालाक ( ३ ) महा शीलाक (४) अनवस्थित । इनमे से प्रत्येक पाला धान्य मापने की पाली के आकार वत् है किन्तु प्रमाण में १ लक्ष योजन लम्बे चौड़े ३१६२२७ यो० अधिक की परिधि वाला, १० हजार यो० गहरा ८ यो० की जगती कोट जिसके ऊपर०॥ यो० की वेदिका इस प्रकार पाला की कल्पना करना तथा इनमे से अनवस्थित पाला को सरसव के दानो से सम्पूर्ण भर कर कोई देव उठावे, जम्बू द्वीप से शुरू करके एकेक दाना एकेक द्वीप और समुद्र में डालता हुवा चला जावे अन्त में १ दाना बच जाने पर द्वीप व समुद्र में डालने से रुके बचा हुवा दाना शीलाकवाला के अन्दर डाले जितने द्वीप व समुद्र तक डालता
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