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प्रमाण-नय
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पर्याय
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यह मनुष्य श्याम का है इत्यादि ।
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अनेक व्याख्या हो सकती सकते है । नित्य, अनित्य,
पक्ष आठ - एक वस्तु की अपेक्षा से है । इसमे मुख्यतया आठ पक्ष लिए जा एक, अनेक, सत्, असत्, वक्तव्य और अवक्तव्य से आठ पक्ष निश्चय व्यवहार से उतारे जाते है ।
पक्ष
व्यवहार नय अपेक्षा
नित्य एक गति मे घूमने से नित्य है अनित्य समय २ आयुष्य क्षय होने से अनित्य है एक गति में वर्तन दशा से एक है अनेक पुत्र पुत्री, भाई आदि स से अ. है स्वगति, स्वक्षेत्रापेक्षा सत् है असत् पर गति पर क्षेत्रापेक्षा असत् है वक्तव्य गुणस्थान आदि की व्याख्या हो
सत्
सकने से अवक्तव्य जो व्याख्या केवली भी नही कर सके
निश्चय नय अपेक्षा
ज्ञान दर्शन अपेक्षा नित्य है अगुरु लघु आदि पर्याय से अनित्य है
चैतन्य अपेक्षा जीव एक है असख्य प्रदेशापेक्षा अनेक है ज्ञानादि गुणापेक्षा सत् है पर गुण अपेक्षा असत् है सिद्ध के गुणों को जो व्याख्या हो सके
सिद्ध के गुणो की जो व्याख्या नही हो सके
सप्त भगी – १ स्यात् अस्ति, २ स्यात् नास्ति, ३ स्यात् अस्ति नास्ति, ४ स्यात् वक्तव्य, ५ स्यात् अस्ति अवक्तव्य, ६ स्यात् नास्ति अवक्तव्य, ७ स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्य ।
यह सप्त भगी प्रत्येक पदार्थ ( द्रव्य ) पर उतारी जा सकती है | इसमे ही स्याद्वाद का रहस्य भरा हुआ है । एकेक पदार्थ को अनेक अपेक्षा से देखने वाला सदा समभावी होता है |
दृष्टान्त के लिए सिद्ध परमात्मा के ऊपर सप्त भगी उतारी जाती है ।