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जैनागम स्तोक संग्रह
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७ सौ शेष इन्द्रो के देविये नही
देवी द्वार - शक्रेन्द्र के आठ अग्रमहिषी देविये है । एकेक देवी के १६-१६ हजार देवियों का परिवार है । प्रत्येक देवी १६-१६ हजार वैक्रिय करे । इसी प्रकार ईशानेन्द्र की भी ८ × १६००० = १२८०००X १६०००=२०४८०००००० जानना । शेष में देविये नही होवे । केवल पहले दूसरे देव लोक रहे और ८ वे लोक तक जाया करे ।
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वैक्रिय द्वार - शकेद्र वैक्रिय के देव-देवियों से २ जम्बू द्वीप भर देते है । ईशा० २ जम्बू द्वीप जाजेरा सनत्कुमार ४ जम्बू०, महेन्द्र ४ जम्बू० जाजेरा, ब्रह्म ेन्द्व ८ जम्बू० लंतकेद्र ८ जम्बू० जाजेरा, महाशुक्र १६ जम्बू ० सहसेद्र १६ जम्बू जाजेरा प्राणतेद्र ३२ जम्बू०, अच्युतेद्र ३२ जम्बू जाजेरा भरे० ( लोक पाल, त्रयस्त्रिण, देविये आदि अपने इद्रवत्) असख्य जम्बू द्वीप भर देने की शक्ति है, परतु इतने वैक्रिय नही करते है |
अवधि द्वार - सर्व इन्द्र ज० अगुल के असख्यातवे भाग अवधि से जाने - देखे ० उ० ऊँचा अपने विमान की ध्वजा पताका तक-तीर्छा असंख्य द्वीप समुद्र तक जाने देखे और नीचे १-२ देव लोक वाले पहली नरक तक, ३ ४ देव दूसरी नरक तक, ५-६ देव० तीसरी नरक तक, ७-८ देव० चौथी नरक तक, ६ से १२ देव० पांचवी नरक तक, ε ग्रीयवेक छट्ठी नरक तक ४ अनुत्तर विमान ७ वी नरक तक और सर्वार्थ सिद्ध वाले त्रस नाली सम्पूर्ण (पाताल कलश) जाने देखे ।
परिचारणा - १-२ देव में पांच (मन, शब्द, रूप, स्पर्श और काय ) परिचारणा, ३-४ देव० में स्पर्श परि०, ५-६ देव० में रूप परि०, ७-८ देव० में शब्द परि०, ६ से १२ देव० मे मन परि०, आगे नही ।
पुन
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