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जैनागम स्तोक सग्रह आधार द्वार-विमान और पृथ्वी पिण्ड रत्नमय है । १, २ देव लोक घनोदधि के आधार पर है । ३, ४, ५ देव घनवायु के आधार से है । ६, ७, ८ देव लोक घनोदधि धनवायु के आधार से है। शेष विमान आकाश के आधार पर स्थित है।
पृथ्वी पिण्ड, विमान ऊंचाई, विमान और परतर, विमान वर्ण द्वारविमान पृथ्वी पिड वि. ऊचाई वि. सख्या परतर वर्ण
२७०० यो. ५०० यो. लाख
" " " " २८ , १३ ५, ३ २६०० ,, ६०० , १२ , १२ ।
" " ८ , १२। २५०० ,
" " ५० हजार २४०० , ८०० ॥ ___" " " " २३०० ६००, ४००
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१, ५ अनु. २१०० , ११००, ५
विमान विस्तार-कितने ही विमानों का विस्तार ( चार भाग का ) अस० योजन का और कितने ही का ( एक भाग का ) सख्यात योजन के विस्तार का है, परन्तु सवार्थ सिद्ध विमान १ लाख यो० के विस्तार में है।
इन्द्र द्वार--१२ देवलोक के १० इन्द्र है । आगे सर्व अहमेन्द्र है ।