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वैमानिक देव विमान वासी देवो के २७ द्वार : ___ १ नाम, २ वासा, ३ सस्थान ४ आधार, ५ पृथ्वी पिण्ड, ६ विमान ऊचाई, ७ विमान सख्या, ८ विमान वर्ण, ६ विमान विस्तार, १० इन्द्र नाम, ११ इन्द्र विमान, १२ चिन्ह, १३ सामानिक, १४ लोकपाल, १५ त्रायस्त्रिशक, १६ आत्म रक्षक, १७ अनीका, १८ परिषदा, १६ देवी, २० वैक्रिय, २१ अवधि, २२ परिचारण, २३ पुण्य, २४ सिद्ध, २५ भव, २६ उत्पन्न, २७ अल्पबहुत्व द्वार ।
नाम द्वार-१२ देव लोक - सौधम, ईशान, सनत्कुमार, महेन्द्र, ब्रह्म, लातक, महाशुक्र, सहस्रार, आणत, प्राणत, आरण, अच्युत नव ग्रेवेयक-भद्दे, सुभद्दे, सुजाने, सुमानसे, सुदशने प्रियदसणे, अनोहे, सुप्रतिबद्ध और यशोधरे । ५ अनुत्तर विमान-विजय, विजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थ सिद्ध । पाचवे देवलोक के तीसरे परतर मे नव लोकातिक देव और ३ किल्विषी मिलकर कुल ३८ जाति के वैमानिक देव है।
वासा द्वार-ज्योतिषी देवो से असख्य क्रोडाक्रोड योजन ऊचा वैमानिक देवो का निवास है। राजधानिये और ५-५ सभाये अपने देवलोक मे ही है । शक्रेन्द्र, ईशानेन्द्र के महल, उनके लोकपाल और देवियो की राजधानिये तीर्छ लोक में भी है।
सठाण द्वार–१, २, ३, ४ और ६, १०, ११, १२ एव ८ देव लोक अर्ध चन्द्राकार है । ५, ६, ७, ८ देव लोक और ६ ग्रेवेयक पूर्ण चन्द्राकार है । चार अनुत्तर विमान त्रिकोन चारो ही तरफ है और वीच में सर्वार्थसिद्ध विमान गोल चन्द्राकार है।
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