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भवनपति विस्तार
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अनीका द्वार - हाथी, घोडे, रथ, महेष, पैदल, गंधर्व, नृत्यकार एव ७ प्रकार की अनीका है । प्रत्येक अनीका की देव सख्या - चमरेद्र के ८१ लाख १८ हजार, बलेद्र के ७६ लाख २० हजार और १० इद्रो के ३५ लाख ५६ हजार देव होते है ।
देवी द्वार - चमरेद्र तथा बलेंद्र की ५-५ अग्रमहिषी ( पटरानी ) है । प्रत्येक पटरानी के ८ हजार देवियो का परिवार है । एकेक देवी ७ हजार वैक्रिय करे अर्थात् ३२ क्रोड वैक्रिय रूप होते है । शेष १८ इंद्र की ६-६ अग्रमहिषी है । एकेक के ६-६ हजार देवियो का परिवार है और सर्व ६-६ हजार वैक्रिय करे एव २९ क्रोड साठ लाख वैक्रिय रूप होते है ।
परिषदा द्वार - परिषदा (सभा) तीन प्रकार की है ।
१ आभ्यन्तर सभा — सलाह योग्य बडो की सभा जो मान पूर्वक बुलाने से आवे (और भेजने पर जावे ) ।
२ मध्यम सभा– सामान्य विचार वाले देवो की सभा जो बुलाने से आवे परन्तु बिना भेजे जावे ।
३ बाह्य सभा -- जिन्हे हुक्म दिया जा सके ऐसे देवो की सभा, जो विना बुलाये आवे और जावे ।
आभ्यन्तर सभा
मध्य सभा
इन्द्र
देव स० चमरेन्द्र २४००० बलेन्द्र २०००० दक्षिण के
६ इन्द्र ६०००० उत्तर के
६ इन्द्र ५००००
-
स्थिति देव स० स्थिति स्थिति
२ पल्य
३
२|| पल्य २५०००
३॥
२४०००
१
11
37
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७००००
६००००
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से अ०
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से अ०
बाह्य सभा
देव स० स्थिति
३२००० १ || पल्य
२८००० २॥,,
८००००
७००००
,
oll से अ०
31
से अ०
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