________________
ज्योतिषी देव विस्तार
५२६ नाम द्वार-१ चन्द्र, २ सूर्य, ३ ग्रह, ४ नक्षत्र, ५ तारा।
वासा द्वार-तीर्छ लोक में समभूमि से ७६० योजन ऊँचे पर ११० यो० मे और ४५ लाख यो० के विस्तार मे ज्यो० देवो के विमान है। जैसे ७६० यो० ऊँचे पर ताराओ के विमान, यहा से १० यो० ऊ चे पर सूर्य का, यहा से ८० यो० ऊ चा चन्द्र का, यहा से ४ यो० ऊचा नक्षत्र का, यहा से ४ यो० ऊचा वध का, यहा से ३ यो० शुक्र का, यहा से ३ यो० वृहस्पति का, यहाँ से ३ यो० मङ्गल का और यहा से ३ यो० ऊ चा शनिश्चर का विमान है। सर्व स्थानो पर ताराओ के विमान ११० योजन मे है।
राजधानी-तीर्छ लोक मे असख्यात राजधानिये है।
सभा द्वार-ज्योतिषो के इन्द्रो के भी ५-५ सभा है । ( भवनपति समान )।
वर्ण द्वार-ताराओ के शरीर पञ्चवर्णी है । शेष ४ देवो का वर्ण सुवर्ण समान है।
वस्त्र द्वार-सर्व वर्ण के सुन्दर, कोमल वस्त्र सब देवताओ के होते है।
चिन्ह द्वार-चन्द्र पर चन्द्र मडल, सूर्य पर सूर्य मडल एव सब देवताओ के मुकुट पर अपना २ चिन्ह है।
विमान चौड़ाई और जाडाई द्वार-एक यो० के ६१ भागो मे से ५६ भाग (१६ यो० ) चद्र विमान को चौडाई, ४८ भाग सूर्य विमान की, दो गाउ ग्रह विमान को, १ गाउ नक्षत्र विमान की और ०।। गाउ तारा विमान को चौडाई है। जाडाई इससे आधी २ जानना। सब विमान स्फटिक रत्नमय है।
विमान वाहक - ज्योतिषी विमान आकाश के आधार पर स्थित रह सकते है, परतु स्वामी के बहुमान के लिए जो देव विमान उठाकर फिरते हैं, उनकी संख्या चद्र-सूय के विमान के १६-१६ हजार देव,