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जैनागम स्तोक संग्रह
नगर द्वार - ऊपर के वासाओ मे वारणव्यन्तर देवो के असंख्यात नगर है जो संख्याता संख्याता योजन के विस्तार वाले और रत्नमय है ।
राजधानी द्वार - भवनपति से कम विस्तार वाली प्रायः १२ हजार योजन की तीच्छे लोक के द्वीप समुद्रो मे रत्नमय राजधानिये है । सभा द्वार - एकेक इन्द्र के ५-५ सभा है भवनपतिवत् ।
वर्ण द्वार - यक्ष, पिशाच, महोरग, गधर्व का श्याम वर्ण, किन्नर का नील, राक्षस और किपुरुष का श्वेत, भूत का काला । इन वारणव्यन्तर देवो के समान शेष ८ व्यन्तर देवी के शरीर का वर्ण जानना ।
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वस्त्र द्वार - पिशाच, भूत, राक्षस के नीले वस्त्र, यक्ष किन्नर किपुरुष के पीले वस्त्र, महोरग गन्धर्व के श्याम वस्त्र एव शेष व्यन्तरो के वस्त्र जानना ।
इन्द्र द्वार - प्रत्येक व्यन्तर की जाति के दो २
चिन्ह और इन्द्र है | व्यन्तर देव
पिशाच
भूत
यक्ष
राक्षस
किन्नर
किंपुरुष
महोरग
गंधर्व
आणपन्नी
पाण पन्नी
ईसी वाय
भूय वाय
दक्षिण इन्द्र
कालेन्द्र
सुरूपेन्द्र
पूर्णेन्द्र
भीम
किन्नर
सापुरुष
अतिकाय
गति रति
सनिहि
धाई
ऋषि
ईश्वर
उत्तर इन्द्र
महा कालेन्द्र
प्रति रूपेन्द्र
मणिभद्र
महा भीम
किपुरुष
महापुरुष
महाकाय
गति यश
सामानी
विधाई
ऋषि पाल महेश्वर
ध्वजा पर चिन्ह
कदम वृक्ष
सुलक्ष"
बड
खटक उपकर अशोक वृक्ष
चपक
नाग
तु बरु
कदम्ब
सुलस 71
बड़
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खटक उपकर"
31
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11
33
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