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________________ भवनपति विस्तार ५२३ अनीका द्वार - हाथी, घोडे, रथ, महेष, पैदल, गंधर्व, नृत्यकार एव ७ प्रकार की अनीका है । प्रत्येक अनीका की देव सख्या - चमरेद्र के ८१ लाख १८ हजार, बलेद्र के ७६ लाख २० हजार और १० इद्रो के ३५ लाख ५६ हजार देव होते है । देवी द्वार - चमरेद्र तथा बलेंद्र की ५-५ अग्रमहिषी ( पटरानी ) है । प्रत्येक पटरानी के ८ हजार देवियो का परिवार है । एकेक देवी ७ हजार वैक्रिय करे अर्थात् ३२ क्रोड वैक्रिय रूप होते है । शेष १८ इंद्र की ६-६ अग्रमहिषी है । एकेक के ६-६ हजार देवियो का परिवार है और सर्व ६-६ हजार वैक्रिय करे एव २९ क्रोड साठ लाख वैक्रिय रूप होते है । परिषदा द्वार - परिषदा (सभा) तीन प्रकार की है । १ आभ्यन्तर सभा — सलाह योग्य बडो की सभा जो मान पूर्वक बुलाने से आवे (और भेजने पर जावे ) । २ मध्यम सभा– सामान्य विचार वाले देवो की सभा जो बुलाने से आवे परन्तु बिना भेजे जावे । ३ बाह्य सभा -- जिन्हे हुक्म दिया जा सके ऐसे देवो की सभा, जो विना बुलाये आवे और जावे । आभ्यन्तर सभा मध्य सभा इन्द्र देव स० चमरेन्द्र २४००० बलेन्द्र २०००० दक्षिण के ६ इन्द्र ६०००० उत्तर के ६ इन्द्र ५०००० - स्थिति देव स० स्थिति स्थिति २ पल्य ३ २|| पल्य २५००० ३॥ २४००० १ 11 37 o || " ७०००० ६०००० "1 oll" से अ० د. " से अ० बाह्य सभा देव स० स्थिति ३२००० १ || पल्य २८००० २॥,, ८०००० ७०००० , oll से अ० 31 से अ० ܙ,
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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