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________________ ५२२ लाख उत्तर नाग , जैनागम स्तोक सग्रह ६ लाख भवन दक्षिण में और ६ क्रोड ६६ लाख भवन उत्तर दिशा में है । विस्तार यन्त्र से समझना। वर्ण, वस्त्रा, चिन्ह, इन्द्र द्वार-यन्त्रा से जाना : भवन वस्त्र इन्द्र दो २ नाम वण चिन्ह वर्ण उत्तर के दक्षिण के असुर कुमार ३० ३४ काला रक्त चूड़ामणि बलेन्द्र चमरेन्द्र ४० ४४ श्वेत नीला नागफण भूतेन्द्र धरणेन्द्र सुवर्ण , ३४ ३८ सुवर्ण श्वेत गरुड़ बेणुदाली वेणुदेव विद्युत ,, ३६ ४० रक्त नीला वज्र हरिसिह हरिकान्त अग्नि , ३६ ४० , , कलश अग्निमानव अग्निसिह द्वीप ४० , , सिह विशेष्ट पूर्ण दिशा , ३६ ६० पांडूर , अश्व जल प्रभ जलकान्त उदधि , ३६ ४० सुवर्ण श्वेत गज अमृत वाहन अमृतगति पवन , ४६ ५० श्याम प, वर्ण मगर प्रभञ्जन वेलव स्तनित , ३६ ४० सुवर्ण श्वेत वर्धमान महाघोष घोष सामानिक देव-(इन्द्र के उमराव समान देव) चमरेन्द्र के ६४ हजार, बलेद्र के ६० हजार और शेष १८ इंद्रों के छ: २ हजार सामानिक देव है । लोक पाल देव-(कोटवाल समान) प्रत्येक इंद्र के चार चार लोक पाल है। त्रायस्त्रिाश देव-(राजगुरु समान) प्रत्येक इंद्र के तैंतीश २ त्रायस्त्रिाश देव है। आत्म रक्षक देव-चमरेद्र के २ लाख ५६ हजार देव, बलेद्र के २ लाख ४० हजार देव और शेष इद्रों के चौवीस २ हजार देव है।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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