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. . जैनागम स्तोक सग्रह प्रत्याख्यान १क्रोड़ १ ह० . २० ० २५६ प्रत्याख्यान का प्रतिप्रमाद
पादन विद्या प्रमाद २६ क्रोड़ १५ ० ५१२ विद्या के अतिशय का
व्याख्यान कल्याण प्रमाद १ कोड़ १२ ० १०२४ भगवान के क. का व्या. प्राणावाय, ६, १३ • २०४८ भेद,स. प्रा. के वि. का , क्रियावशा० १ कोड़ ३० ० ००६६ क्रिया का व्याख्यान ५०ला० लोक बिन्दुसार ६६ लाख २५ ० ८१९२ विन्दु में लोक स्वरूप,
सर्व अक्षर सन्निपात अम्बाड़ी सहित हाथी के समान स्याही के ढगले से १ पूर्व लिखाया जाता है एवं १४ लिखने के लिए कुल १६३८३ हाथी प्रमाण स्याही की जरूरत होती है । इतनी स्याही से जो लिखा जाता है, उस ज्ञान को १४ पूर्व का ज्ञान कहते है।