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साधु-समाचारी साधुओं के दिन और रात्रि कृत्य (श्री उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन २६)
समाचारी १० प्रकार की : १ आवस्सिय, २ निसिहिय, ३ आपुच्छणा, ४ पडिपुच्छणा, ५ छदणा, ६ इच्छाकार, ७ मिच्छाकार, ८ तहत्कार, ६ अब्भुठणा, १० उप-संपया समाचारी।
१ आवस्सियः साधु आवश्यक-जरूरी (आहार-निहार, विहार) कारण से बाहर जावे तब 'आवस्सिय' शब्द बोल कर निकले।
२ निसिहिय : कार्य समाप्त होने पर लौट कर जब पुनः उपाश्रय में आवे तब 'निसिहिय' शब्द बोल कर आवे।
३ आपुच्छणा : गोचरी, पडिलेहण आदि अपने सर्व कार्य गुरु की आज्ञा लेकर करे।
४ पडिपुच्छणा : अन्य साधुओं का प्रत्येक कार्य गुरु की आज्ञा लेकर करना।
५ छंदणा : आहार-पानी गुरु की आज्ञानुसार दे देवे और अपने भाग में आये हुए आहार को भी गुरुजनो आदि को आमन्त्रित करने के वाद खावे ।
६ इच्छाकार : (पात्रलेपादि) प्रत्येक कार्य में गुरु की इच्छा पूछकर करे।
७ मिच्छाकार : यत्किचित् अपराध के लिये गुरु समक्ष आत्मनिन्दा करके 'मिच्छामि दुक्कड़ दे।
८ तहत्कार : गुरु के वचन को सदा 'तहत्' प्रमाण कह कर प्रसन्नता से कार्य करे।
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