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जैनागम स्तौक संग्रह
७ भूमि गृह (भोयरा-ऊडी भकारी) में से निकाला हुआ आहार __ लेवे तो। ८ पंखे आदि से ठण्डे किये हुए आहार लेवे तो।
श्री भगवती सूत्र में बताये हुए १२ दोष १ संयोग दोष-आये हुए आहार को मनोज्ञ वनाने के लिये
अन्य चीजे मिलावे (दूध में शक्कर आदि मिलावे तो। २ द्वेष-दोष-निरस आहार मिलने से घृणा लावे तो। ३ राग द्वेष-सरस , ,, खुशी , ४ अधिक प्रमाण मे (ठूस-ठूस कर) आहार करे तो। ५ कालातिक्रम दोष-पहले प्रहर में लिये हुए का चौथे प्रहर
में आहार करे तो। ६ मार्गातिक्रम दोष–२ गाउ से अधिक दूर ले जाकर आहार
करे तो। ७ सूर्योदय पहले सूर्योदय पश्चात् आहार करे तो। ८ दुष्काल तथा अटवी मे दानशालाओ का आहार लेवे तो ह, मे गरीबी के लिये किया हुआ आहार १० ग्लान-रोगी प्रमुख , ११ अनाथो के लिये , " " १२ गृहस्थ के आमत्रण से उसके घर जाकर आहार लेवे तो
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र मे बताये हुए ५ दोष १ मुनि के निमित्त आहार का रूपान्तर करके देवे तो। २ , , , पर्याय पलट ,, ,, ३ गृहस्थ के यहाँ से अपने हाथ द्वारा आहार लेवे तो। ४ मुनि के निमित्त भडारिये आदि के अन्दर से निकाल कर दिया हुआ आहार लेवे तो।