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आहार के १०६ भेद
१२ बाबा साधु के लिए बनाया हुआ आहार लेवे तो । १३ राजपिण्ड ( रईसानी - बलिष्ट) आहार लेवे तो । १४ शय्यान्तर - पिंड मकानदाता के यहाँ से लेवे तो । १५ नित्य - पिंड हमेशा एक ही घर से आहार लेवे तो । १६ पृथ्वी आदि सचित्त चीजो से लगा हुआ लेवे तो । १७ इच्छा पूर्ण करने वाली दानशालाओ से आहार लेवे तो । १८ तुच्छ वस्तु ( कम खाने मे आवे और अधिक परठनी पड़े ) गोचरी मे लेवे तो ।
१६ आहार देने के पहिले सचित्त पानी से हाथ धोया होवे तथा वहोराने के बाद सचित्त पानी से हाथ धोवे तो ।
२० निषिद्ध कुल ( मद्य मासादि अभक्ष्य भोजी ) का आहार
लेवे तो ।
२१ अप्रतीतकारी ( स्त्री-पुरुष दुराचारी हो, ऐसे कुल का ) आहार लेवे तो ।
२२ जिसने अपने घर पर आने के लिये मना किया होवे ऐसे गृहस्थ के घर का आहार लेवे तो ।
२३ मदिरादि वस्तु की गोचरी करे तो महादोष है ।
श्री आचारांग सूत्र मे बताये
हुए ८ दोष
१ मेहमान निमित्त बनाये हुए आहार मे से उनके जीमने के पहिले आहार लेवे तो ।
२ त्रस जीवो का मास ( जो सर्वथा निषिद्ध है) लेवे तो महादोष ।
३ पुण्यार्थ धन-धान्य मे से बनाया हुआ आहार लेवे तो
४ रसोई (ज्योनार - जीमनवार) मे से आहार लेवे तो ।
५ जिस घर पर बहुत से भिखारी भोजनार्थी इकट्ठे हुए हों उस घर मे से आहार लेवे तो ।
६ गरम आहार को फूंक देकर वहोराया हुआ ।
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