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जैनागम स्तोक संग्रह श्री उत्तराध्ययन सूत्र में बताये हुए २ दोष १ अन्य कुल में से गोचरी नही करते हुए अपने सज्जन सम्वन्धियों
के यही से गोचरी करे तो। २ बिना कारण आहार ले व बिना कारण आहार त्यागे। ६ कारण से आहार लेवे। । ६ कारण से आहार छोड़े क्षुधा वेदनी सहन नही होने से । रोगादि हो जाने से आचार्यादिकी वैयावच्च हेतु से उपसर्ग आने से ईर्या शोधन के लिये।
ब्रह्मचर्य के नही पलने पर संयम निर्वाह निमित्त
जीवो की रक्षा के लिये जीवों की रक्षा करने के लिये तपश्चर्या के लिये धर्म कथादि कहने के लिये | अनशन (संथारा) करने के लिये
श्री दशवैकालिक सूत्र मे बताये हुए २३ दोष १ जहां नीचे दरवाजे मे से होकर जाना पडे, वहां गोचरी
करने से। २ जहां अन्धेरा गिरता हो उस स्थान पर गोचरी करने से । ३ गृहस्थो के द्वार पर बैठे हुए बकरे-बकरी । ४ बच्चे-बच्ची। ५ कुत्ते। ६ गाय के बछडे आदि को उलांघ कर जावे तो । ७ अन्य किसी प्राणी को उलांघ कर जाने से । ८ साधु को आया हुआ जान कर गृहस्थ संघटे (सचितादि) की
चीजो को आगे-पीछे कर देवे, वहाँ से गोचरी करने पर। ६ दान निमित्त बनाया हुआ । १० पुण्य निमित्त बनाया हुआ। ११ रक-भिखारी के लिए बनाया हुआ।