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५२ अनाचार (दशवैकालिक सूत्र, तीसरा अध्ययन) १ मुनि के निमित्त तैयार किया हुआ आहार, वस्त्र, पात्र तथा मकान भोगवे तो अनाचार लागे । २ मुनि के निमित्त खरीदे हुए आहार, वस्त्र, पात्र तथा मकान भोगवे तो अनाचार लागे। ३ नित्य एक घर का आहार भोगवे तो अनाचार लागे । ४ सामने लाया हुआ आहार भोगवे तो अनाचार लागे। ५ रात्रि भोजन करे तो आहार भोगवे तो अनाचार लागे ६ देश स्नान (शरीर को पोछ कर तथा सारे शरीर का स्नान करके) करे तो अनाचार लागे। ७ सचित अचित पदार्थो की सुगन्ध लेवे तो अना० लागे । ८ फूल आदि की माला पहिने तो अना० लागे ६ पखे आदि से पवन (हवा) चलावे तो अना० लागे १० तेल, घी आदि आहार का संग्रह करे तो अना० लागे ११ गृहस्थ के वासन में भोजन करे तो अना० लागे १२ राजपिण्ड-वलिष्ट आहार लेवे तो अना० लागे १३ दानशाला मे से आहार आदि लेवे तो अना० लागे १४ शरीर का बिना कारण मर्दन करे-करावे अना० लागे । १५ दातुन करे तो अना० लागे १६ गृहस्थो की सुख शाता पूछा करे, खुशामद करे तो अनाचार लागे।
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