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पांच शरीर
२ वैक्रिय शरीर मे औदारिक की भजना, आहारक नही होवे व तेजस् कार्मण की नियमा।
३ आहारक शरीर मे वैक्रिय नही होवे । औदारिक, तेजस्, कार्मण होवे।
४ तेजस् शरीर मे औदारिक, वैक्रिय आहारक की भजना, तेजस् की नियमा।
५ कार्म णशरीर मे औदारिक, वैक्रिय आहारक की भजना, तेजस् की नियमा।
८ द्रव्यार्थक द्वार १ सब से थोडा आहारक का द्रव्य जघन्य १, २, ३ उत्कृष्ट पृथक हजार । इससे वैक्रिय द्रव्य असख्यात गुणा, इससे औदारिक के द्रव्य असंख्यात गुणा, इससे तेजस् कार्मण के द्रव्य ये दोनो परस्पर बराबर व औदारिक से अनन्तगुणा अधिक।
९ प्रदेशार्थक द्वार १ सब से थोड़ा आहारक का प्रदेश इससे वैक्रिय का प्रदेश असंख्यात गुणा इमसे औदारिक का असंख्यात गुणा, इससे तेजस् का अनन्त गुणा व इससे कार्मण का अनन्त गुणा अधिक ।
१० द्रव्यार्थक प्रदेशार्थक द्वार सबसे थोडा आहारक का द्रव्यार्थ इससे वैक्रिय का द्रव्यार्थ असंख्यात गुणा इससे औदारिक का द्रव्यार्थ असख्यात गुणा, इससे आहारिक का प्रदेश असख्यात गुणा, इससे वैक्रिय का प्रदेश असख्यात गुणा, इससे औदारिक का प्रदेश असख्यात गुणा । इससे तेजस् कार्मरण इन दोनो का द्रव्यार्थ परस्पर समान व औदारिक से अनत गुणा अधिक, इससे तेजस् का प्रदेश अनन्त गुणा अधिक इससे कार्मण का प्रदेश अनन्त गुणा अधिक ।