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पांच इन्द्रिय ! लम्बाई जघन्य आंगुल के असंख्यातवे भाग उत्कृष्ट पृथक् (२ से ६) आंगुल, की । ५ स्पर्शे की लम्बाई जघन्य आंगुल के अस० भाग उ० हजार योजन से कुछ विशेष ।
४ प्रदेश द्वार पाच इन्द्रिय के अनन्त प्रदेश होते है।
५ अवगाहना द्वार पाँच इन्द्रियो मे से प्रत्येक इन्द्रिय मे आकाश प्रदेश असंख्यात असंख्यात अवगाह्य है।
प्रत्येक इन्द्रिय का अनन्त २ कर्कश व भारी स्पर्श है व वैसे ही अनन्त २ हलका व मृदु स्पर्श है।
६ अल्पबहुत्व द्वार सब से कम चक्षु इन्द्रिय के प्रदेश, इससे श्रोत्रे के प्रदेश सख्यात गुणे, इससे घ्राणे के प्रदेश संख्यात गुणे इससे रसे० के प्रदेश असंख्यात गुणे व इससे स्पर्शे के प्रदेश सख्यात गुरणे। . . ' आकाश प्रदेश अवगाहना का अल्पबहुत्व-सब से कम चक्ष ० का अवगाह्या आकाश प्रदेश, इससे श्रोत्रे० का अवगाह्या आकाश प्रदेश सख्यात गुणा, इससे घ्राणे०का अवगाह्या आकाश प्रदेश सख्यात गुणा, इससे रसे० का अवगाह्या आकाश प्रदेश अस० गुणा व स्पर्श का अवगाह्या आकाश प्रदेश सख्यात गुणा ।
प्रदेश और अवगाह्य दोनो का अल्पबहुत्व-सव से कम चक्षु० का अवगाह्य आकाश प्रदेश। इससे श्रोत्र० का सख्यात गुणा, इससे घ्राणे० का अवगाह्य सख्यात गुरणा, इससे रसे० का अवगाह्य अस
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