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जैनागम स्तोक संग्रह ६ एक घड़ा सुगन्ध से वासित है इसमें यदि पानी भरे तो वह पानी के गुण को बढावे वैसे एकेक श्रोता समकितादिक सुगन्ध से वासित है व सूत्रादिक पढाने से यह ज्ञान के गुण को दिपाते है।
७ एक घड़ा कच्चा है इसमें पानी भरे तो वह पानी से भीज कर नष्ट हो जावे, वैसे एकेक श्रोता (अल्प बुद्धि वाले) को सूत्रादिक का ज्ञान देने से नय प्रमुख नही जानने से वह ज्ञान से व मार्ग से भ्रष्ट होवे।
८ एक घड़ा खाली है । इसके ऊपर ढक्कन ढाक कर वर्षा के समय नेवां के नीचे इसे पानी झेलने के लिये रक्खे अन्दर पानी आवे नही परन्तु पेदे के नीचे अधिक पानी हो जाने से ऊपर तिरने (तेरने) लगे व पवनादि से भीत प्रमुख से टकरा कर फूट जावे वैसे एकेक श्रोता सद्गुरु की सभा में व्याख्यान सुनने को बैठे परन्तु ऊंघ प्रमुख के योग से ज्ञान रूपी पानी हृदय में आवे नही तथा अत्यन्त ऊघ के प्रभाव से खराब डाल रूप वायु से अथड़ावे (टक्कर खावे) जिससे सभा में अपमान प्रमुख पावे तथा ऊंघ में पड़ने से अपने शरीर को नुकसान पहुंचावे ।
३ चालणी चालणी एकेक श्रोता चालणी के समान है। इसके दो प्रकारः एक प्रकार ऐसा है कि चालणी जब पानी में रक्खे तो पानी से सम्पूर्ण भरी हुई दीखे परन्तु उठा कर देखे तो खाली दीखे वैसा एकेक श्रोता व्याख्यानादि सभा में सुनने को बैठे तो वैराग्यादि भावना से भरे हुवे दीखे परन्तु सभा से उठ कर बाहर जावे तो वैराग्य रूपी पानी किचित् भी दीखे नही । ऐसे श्रोत छोड़ने योग्य है ।
दूसरा प्रकार-चालनी गेहूँ प्रमुख का आटा चालने से आटा तो निकल जाता है, परन्तु कंकर प्रमुख कचरा रह जाता है, वैसे एकेक