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अष्ट प्रवचन (५ समिति ३ गुप्ति)
( श्री उत्तराध्यान सूत्र, २४ वा अध्ययन ) पाँच समिति (विधि) के नाम-१ इरिया समिति (मार्ग मे चलने की विधि), २ भापा (बोलने की) समिति, ३ एषणा (गोचरी की) समिति, ४ निक्षेपणा (आदान भडमत्त वस्त्र पात्रादि देने व रखने की) समिति, ५ परिठावणिया (उच्चार, पासवण खेल-जल-सघाण बडीनीत, लघुनीत, बलखा लीठ आदि परठने की) समिति । तीन गुप्ति (गोपना) के नाम :
१ मन गुप्ति, २ वचन गुप्ति, ३ काय गुप्ति इर्या समिति के ४ भेद -१ आलम्बन-ज्ञान दर्शन, चारित्र का, २ काल-अहोरात्रि का, ३ मार्ग - कुमार्ग छोडकर सुमार्ग पर चलना, ४ यत्ना (जयारणा सावधानी) के ४ भेद --द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव । द्रव्य से छकाय जीवो की यत्ना करके चले, क्षेत्र से घुसरी (३॥ हाथ प्रमाण जमीन आगे देखते हुए चले), काल से रास्ते चलते नही बोले और भाव से रास्ते चलते वाचन पूछने (पृच्छना) पर्यटण, धर्मकथा आदि न करे और न शब्द, रूप, गन्ध, रस, स्पर्शादि विपय में ध्यान दे।
भाषा समिति के ४ भेद --द्रव्य, क्ष त्र काल, और भाव । द्रव्य से आठ प्रकार की भाषा (कर्कश, कठोर, छेदकारी, भेदकारी, अधामिक, मृषा, सावध, निश्चयकारी) नही बोले, क्षेत्र से रास्ते चलते न बोले, काल १ एक प्रहर रात्रि बीतने पर जोर से नही बोले, भाव से राग-द्वेष-युक्त भाषा न बोले । एषणा समिति ४ भेद :-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव । द्रव्य से
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