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खण्डा जोयणा
४३६ ११ रूपकूला , , गाउ १२।।यो. २॥यो. १२५यो. २८००० १२ सुवर्णकूला गिखर पु डरीक ,, , , , १३ रक्ता ,
गाउ ६यो. शयो ६२यो. १४००० १४ रक्तोदा , , ७८ विदेह की कु ढो से पृथ्वी पर , , , . "
६४ नदी
प्रत्येक नदी ऊपर बताये हुए पर्वत तथा कुड से निकल कर आगे बहती हुई गङ्गा प्रभास, सिंधु प्रभास आदि कुंड में गिरती है। यहाँ से आगे जाने पर आधे परिवार जितनी नदिये मिलती है जिनके साथ बीच मे आये हुए पहाड को तोड कर आगे बहती है जहाँ आधे परिवार की नदिये मिलती हैं जिनके साथ बहकर जम्बूद्वीप की जगति से बाहर लवण समुद्र मे मिलती है।
गगा प्रभास आदि कुड मे गगा द्वीप आदि नामक एकेक द्वीप है, जिनमे इसी नाम की एकेक देवी सपरिवार रहती है । इन कुड, द्वीप
और देवियो के नाम शाश्वत है। ___ यन्त्र के अनुसार ७८ मूल नदिये और उनकी परिवार की (मिलने वाली चौदह लाख ५६ हजार नदिये है। इस उपरात महाविदेह के ३२ विजयो के २८ अन्तर है जिनमे पहले लिखे हुए १६ वक्षार पर्वत और शेष १२ अन्तर मे १२ अन्तर नदिये है। इनके नाम -गृहवन्ती, द्रहवन्ती, पकवन्ती, तत जला, मतजला, उगम जला, क्षीरोदा, सिंह सोता, अन्तो वहनी, उपमालनी, केनमालनी, और गम्भीर मालनी।
ये प्रत्येक नदिये १२५ योजन चौड़ी, २।। यो० ॐडी (गहरी) और १६५६२ योजन २ कला की लम्बी है। कुल नदिये चौदह लाख ५६ हजार नब्बे है । विशेष विस्तार जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र से जानना ।