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जैनागम स्तोक संग्रह
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कुमार रूप से भूतकाल में अनन्ती करी भविष्य में करे तो संख्याती, असंख्याती; अनन्ती करेगा ऐसे ही व्यन्तर, ज्योतिषी, वैमानिक रूप से भी भविष्य में करे तो असंख्याती व अनंती करेगा ।
उदारिक के १० दण्डक मे भूतकाल में अनन्ती करी । भविष्य में करे तो १-२-३ जाव अनन्ती करे एवं भवनपति का भी कहना ।
एकेक पृथ्वी काय के जीव नारकी रूप से कषाय समु० भूतकाल में अनन्ती करी और भविष्य में करेगा तो स्यात् संख्याती, असं० अनन्ती करेगा एवं भवनपति व्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक रूप से भी भविष्य में असं० अनन्ती करेगा । उदारिक के १० दण्डक में भविष्य में स्यात् १-२-३ जाव संख्याती, असं० अनन्ती करेगा । एवं उदारिक के १० दण्डक व्यन्तर, ज्योतिषो वैमानिक असुर कुमार के समान समझना !
एकेक नेरिया नेरिये रूप से मरणांतिक समु० भूतकाल में अनन्ती करी, भविष्य में जो करे तो १-२-३ सं० जाव अनन्ती करेगा एव २४ दण्डक कहना, परन्तु स्वस्थान परस्थान सर्वत्र १ - २ - ३ कहना, कारण मरणातिक समु० एक भेव मे एक ही बार होती है ।
एकेक नेरिया नेरिये रूप से वैक्रिय समु० भूतकाल मे अनन्ती करी, भविष्य में जो करे तो १-२-३ जाव अनन्ती करेगा । ऐसे ही २४ दण्डक, १७ दण्डक पने कषाय ससु० समान करे सात दण्डक ( ४ स्थावर ३ बिकलेन्द्रिय) में वैक्रिय समु० नही ।
एकेक नेरिया नेरिये रूप से तेजस समु० भूत में नही करी, भविष्य में नही करेगा ।
एकेक नेरिया असुर कुमार रूप से भूतकाल में तैजस समु० अनंती करी और भवि० में करे तो १, २, ३ जाव अनन्ती करेगा एवं तैजस् समु० १५ दंडक में मरणांतिक अनुसार ।
आहारिक समु० मनुष्य सिवाय २३ दंडक के जीवों ने अपने तथा अन्य २३ दंडक रूप से नही करी और न करेगे । एकेक २३ दडक के