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नियठा
જન્મ
२६ आहारिक द्वार . ५ नियठा आहारिक और स्नातक आहारिक
तथा अना० ।
२७ भव द्वार • पुलाक और निर्ग्रथ भव करे ज ० १ उ० ३ वकुश, पडि, कषाय कुशील ज० १ उ० १५ भव करे और स्नातक उसो भव मे मोक्ष जावे ।
२८ आगरेस द्वार पुलाक एक भव मे ज० १ बार उ० बार. ३ आवे । अनक भव आश्री ज० २ बार उ० ७ बार आवे, वकुश पडि० और कषाय कुशील एक भव मे ज० १ बार उ० प्रत्येक १०० वार आवे अनेक भव आश्री ज० २ बार उ० प्रत्येक हजार बार, निर्ग्रन्थ एक भव आश्री ज० १ बार उ० १ बार आवे, अनेक भव आश्रा ज० २ बार उ० ५ वार आवे, स्नातकपना ज० उ० १ हो वार आवे ।
२६ काल द्वार : ( स्थिति ) पुलाक एक जीव अपेक्षा ज० १ समय उ० अ० मु०, अनेक जीव अपेक्षा ज० उ० अन्तर्मुहूर्त की वकुश एक जीव अपेक्षा ज० १ समय उ० देश उण पूर्व क्रोड, अनेक जीवापेक्षा शाश्वता पडि० कषाय कु० वकुशवत्, निग्रन्थ एक तथा अनेक जीवापेक्षा ज० १ समय उ० अन्तमु० स्नातक एक जीवाश्री ज० अ० मु०, उ० देश उरणा पूर्व क्रोड़, अनेक जीवा० शाश्वता है ।
३० आन्तरा ( अन्तर ) द्वार प्रथम ५ नियठा मे आन्तरा पड़े तो १ जीव अपेक्षा ज० अ० मु० उ० देश उणा अर्ध पुद्गल परावर्तन काल तक स्नातक में एक जीवा० अन्तर न पडे । अनेक जोवा० अन्तर पडे तो पुलाक मे ज० १ समय, उ० सख्यात काल, निर्ग्रन्थ मे ज० १ समय, उ० ६ माह, शेष ४ मे अन्तर न पडे ।
३१ समुद्घात द्वार पुलाक मे ३ समु० ( वेदनी, कषाय, मारणातिक ) वकुश मे तथा पडि० मे ५ समु० ( वे०, क०, म०, वै०, ते ० ) कपाय कु० मे ६ समु० ( केवली समु० नही, ) निग्रंथ में नही, स्नातक मे होवे तो केवली समुद्घांत ।
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