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संज्ञा-पद
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नरकादि २४ दण्डक मे दश-दश सज्ञा होवे । किसी मे सामग्री अधिक मिल जाने से प्रवृति रूप से है, किसी में सत्ता रूप से है । सजा का अस्तित्व छठे गुणस्थान तक है। इनका अल्पबहुत्व : ____ आहार, भय, मैथुन और परिग्रह सजा का अल्पबहुत्व . नारकी में सब से कम मैथुन, उससे आहार स०, उससे परिग्रह सं० भय स० सख्यात गुणी।
तिर्यञ्च मे सब से कम परिग्रह, उससे मैथुन सं०, भय सं० आहार सख्या० गुणी।
मनुष्य मे सबसे कम भय, उससे आहार स०, परिग्रह स० मैथुन स० गुणी।
देवता मे सबसे कम आहार, उससे भय स०, मैथुन सं० परिग्रह सख्या० गुणी।
क्रोध, मान, माया और लोभ सज्ञा का अल्पवहुत्व . नारको मे सवसे कम लोभ, उससे माया स , मान स०, क्रोध संख्या गुणो।
तिर्यञ्च मे सबसे कम मान, उससे क्रोध विशेष, माया विशेष, लोभ विशेष अधिक।
मनुष्य मे सवसे कम मान, उससे क्रोध विशेष, माया विशेष, लोभ विशेष अधिक।
देवता मे सबसे कम क्रोध, उससे मान सज्ञा, माया, सज्ञा, लोभ सख्या० गुणी।