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जैनागम स्तोक संग्रह
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४५० १६ ,, देवलोक में ब्रह्मलोक
बडा १७ , सभाओं में सुधर्मा ।
सभा वडी १८ , स्थिति के देवो में
सर्वार्थसिद्ध १६ , दानों में अभय दान
बड़ा २० , रंगोमे किरमजी रंग, २१ ,, संस्थानो मे
समचतुरस्र " २२ , संहननोमें वज्रऋषभ
नाराच बड़ा , २३ ,, लेश्या मे शुक्ल लेश्या , २४ , ध्यानो में शुक्ल
ध्यान बड़ा २५ ,, ज्ञान में केवल ज्ञान , २६ , क्षेत्रो में महाविदेह क्षेत्र,
,, साधुओ में तीर्थकर ,, ,, गोल पर्वतो में
कुण्डल पर्वत , २६ , वृक्षो मे सुदर्शन वृक्ष , ३० ,, वनो मे नन्दन वन , ३१ , ऋद्धि में चक्रवर्ती
की ऋद्धि , ३२ ,, योद्धाओं में वासुदेव ,,
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