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षटद्रव्य पर ३१ द्वार १ नाम द्वार, २ आदि द्वार, ३ सठाण द्वार, ४ द्रव्य द्वार, ५ क्षेत्र द्वार, ६ काल द्वार, ७ भाव द्वार, ८ सामान्य विशेष द्वार, निश्चय द्वार, १० नय द्वार, ११ निक्षेप द्वार, १२ गुण द्वार, १३ पर्याय द्वार, १४ साधारण द्वार, १५ साधर्मी द्वार, १६ पारिणामिक द्वार, १७ जीव द्वार, १८ मूर्ति द्वार, १६ प्रदेश द्वार, २० एक द्वार, २१ क्षेत्र क्षेत्री द्वार २२ क्रिया द्वार, २३ कर्ता द्वार, २४ नित्य द्वार, २५ कारण द्वार, २६ गति द्वार, २७ प्रवेश द्वार, २८ पृच्छा द्वार, २६ स्पर्शना द्वार, ३० प्रदेश स्पर्शना द्वार और ३१ अल्पबहुत्व द्वार।
१ नाम द्वार : १ धर्म, २ अधर्म, ३ आकाश, ४ जीव, ५ पुदगलास्तिकाय ६ काल द्रव्य ।
२ आदि द्वार : द्रव्यापेक्षा समस्त द्रव्य अनादि है। क्षेत्रापेक्षा लोकव्यापक है अतः सादि है । केवल आकाश अनादि है । कालापेक्षा षद्रव्य अनादि है। भावापेक्षा षद्रव्य में उत्पाद-व्यय अपेक्षा ये सादि सांत है।
३ संठाण द्वार : धर्मास्तिकाय का सठाण गाड़े के ओघण समान।
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०००० इस प्रकार बढते २ लोकान्त तक असंख्य प्रदेशी है। ०००००००० इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय का सठाण , आकाशास्ति
काय का सठाण लोक में गले के भूषण समान , अलोक में ओघणाकार जीव तथा पुद्गल का सम्बन्ध अनेक प्रकार का है और काल के आकार नही । (प्रदेश नही इस कारण)
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