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श्रोता अधिकार
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२ कुम्भ
२ कुडग— कुम्भ का दृष्टान्त । कुम्भ के आठ भेद है, जिनमें प्रथम घड़ा सम्पूर्ण घड़ के गुणो द्वारा व्याप्त है । घड़े के तीन गुण१ घडे के अन्दर पानी भरने से किंचित् बाहर जावे नहीं २ स्वय शीतल है अत. अन्य की भी तृषा शान्त करे - शीतल करे । ३ अन्य की मलीनता भी पानी से दूर करे ।
ऐसे ही एकेक श्रोता विनयादिक गुणो से सम्पूर्ण भरे हुए है ( तीन गुरण सहित ) १ गुर्वादिक का उपदेश सर्व धार कर रक्खे किचित् भूले नही, २ स्वयं ज्ञान पाकर शीतल दशा को प्राप्त हुए है व अन्य भव्य जीव को त्रिविध ताप उपसमाकर शीतल करते है, ३ भव्य जीव की सन्देह रूपी मलीनता को दूर करे | ऐसे श्रोता आदरने योग्य है ।
२ एक घड़ के पार्श्व भाग में काना ( छेद युक्त ) है इसमें पानी भरे तो आधा पानी रहे व आधा पानी बाहर निकल जावे | वैसे ही एकेक श्रोता व्याख्यानादि सुने तो आधा धार रक्खे व आधा भूल जावे ।
३ एक घडा नीचे से काना है इसमे पानी भरने से सब पानी वह कर निकल जावे किंचित् भी उसमे रहे नही वैसे एकेक श्रोता व्याख्यानादि सुने तो सर्व भूल जावे, परन्तु धारे नही ।
४ एक घडा नया है, इसमे पानी भरे तो थोडा २ सिर कर बह जावे व सारा घडा खाली हो जावे वैसे एकेक श्रोता ज्ञानादि अभ्यास करे परन्तु थोडा थोड़ा करके भूल जावे ।
५ एक घडा दुर्गन्धवासित है इसमें पानी भरे तो वह पानी के गुण को बिगाडे वैसे एकेक श्रोता मिथ्यात्वादिक दुर्गन्ध से वासित है । सूत्रादिक पढने से यह ज्ञान के गुण को बिगाड़ते है । ( नष्ट करते है ) ।