________________
समकित के ११ द्वार
नं० क्षेत्र का नाम २ पूर्व भद्रशाल वन आठ विजय
"
४
चार वक्षार पर्वत
५
तीन अन्तर नदी
६
सीतामुख वन
७ पश्चिम भद्रशाल वन आठ विजय
33
८
ε
१०
११
19
17
"
चार वक्षार पर्वत
"
तीन अन्तर नदी
"
'सीता मुख वन
33
४२६
योजन
२२०००
१७७०२
२०००
३७५
२६२३
२२०००
१७७०२
२०००
३७५
२६२३
कुल १०००००
२ योजन द्वार : १ लाख योजन के लम्बे चौड े जम्बू द्वीप के एकएक योजन के १० अबज खण्ड हो सकते है । जो १ योजन सम चोरस जितने खण्ड करे तो ७०० - ५६६४१५० खण्ड होकर ५३१५ धनुष्य और ६० आंगुल क्षेत्र बाकी बचे |
३ वासा द्वार मनुष्य के रहने वाले वास ७ तथा १० है । कर्म भूमि के मनुष्यों के ३ क्षेत्र - भरत, ऐरावर्त और महाविदेह | अकर्म भूमि मनुष्यो के ४ क्षेत्र - हेमवाय, हिरणवाय, हरिवास, रम्यक् - वास एव सात १० गिनने होवे तो महाविदेह क्षेत्र के ४ भाग करना - (१) पूर्व महाविदेह, ( २ ) पश्चिम महाविदेह, (३) देव कुरु, (४) उत्तर कुरु एवं १० ।
दं
जगति (कोट) योजन ऊँचा और चौडा मूल में १२, मध्य में ८ और ऊपर ४ योजन का है । सारा वज्र रत्नमय है । कोट के एक के एक तरफ झरोखे की लाइन है, जो ०॥ योजन ऊँची, ५०० धनुष्य चौड़ी है । कोषीशा ओर कागरा रत्नमय है ।