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खण्डा जोयरणा
४३३ मध्य मे है । नाम :-सदावाई, वयड़ावाई, गन्धावाई, और मालवन्ता।
४ चित विचितादि निषिध पर्वत के पास सीता नदी के दोनो तट पर चित और विचित प० है तथा नीलवन्त के पास सीतोदा के दो तट पर जमग और समग दो पर्वत है।
जम्बू द्वीप के बराबर मध्य मे मेरु पर्वत है।
पर्वत के नाम ऊँचाई गहराई विस्तार २०० कञ्चन गिरि पर्वत १०० यो २५ यो. १०० यो. ३४ दीर्घ वैताढ्य " २५ यो. २५ गाउ ५० यो. १६ वक्षार ५०० यो. ५०० गाउ ५०० यो.
यो कला चूल हेमवन्त और शिखरी १०० यो. २५ यो १०५२-१२ महा हेमवन्त और रूपी २०० यो.
. ५० यो. ४२१०-१० निषिध और नीलवन्त
१०० यो. १६८४२-२ ४ गजदन्ता पर्वत
५०० यो. १२५ यो. ३०२०९-६ ४ वृतल वैताढ्य १००० यो. २५० यो १०००-० चित, विचि., जमग, सुमग १००० यो. २५० यो. १००० मेरु पर्वत ___६६००० यो. १००० यो. १००६० यो. __मेरु पवत पर ४ वन है-भद्रशाल; नन्दन, सुमानस और पण्डक वन।
१ भद्रशाल वन-पूर्व-पश्चिम २२००० योजन, उत्तर दक्षिण २५० योजन विस्तार है । मेरु से ५० योजन दूर चार ही दिशाओ मे ४ सिद्धायतन है जिनमे जिन प्रतिमा है। मेरु से ईशान मे ४ पुष्करणी (बावडियाँ) है । ५० यो. लम्बी, २५ यो. चौडी, १० यो. गहरी है । वेदिका वनखण्ड तोरणादि युक्त है। चार बावड़ियो के
४०० यो
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