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जैनागम स्तोक संग्रह है व आगे करेगे ऊपर अनुसार । इसी प्रकार असुरकुमारपने, 'पृथ्वीपने यावत् वैमानिकपने पूर्व काल में औदारिक पु० परा,
वैक्रिय पु० परा० यावत् श्वासोश्वास पु० परा० किये है व करेगे। (ध्यान में रखना चाहिये कि जिस दण्डक में जो २ पु० परा० होवे वह करे और न होवे उन्हें न करे।। एक नेरिया जीव २४ दण्डक में ‘रह कर सात सात (होवे तो हां और न होवे तो नहीं) पु० परा० किये एवं २४x७=१६८ हुए एवं २४ दण्डक का जीव २४ दण्डक में रह कर सात सात पु० परा० करे। अतः १६८४२४=४०३२ प्रश्न पु० 'परा० के होते है।
बहु वचन से—सर्व जीवों ने नेरिये पने औदारिक पुद्गल परा० 'किये नही, करेगे नही। वैक्रिय पु० परा० यावत् श्वासोश्वास पु० परा० किये और करेगे। इसी प्रकार असुरकुमारपने, पृथ्वी पने यावत् वैमानिकपने जो २ घटे वे, वे (पुद्गल परा०) किये व करेगे एवं २४ दण्डक में बहुत से जीवों ने पु० परा० सात सात किये । पूर्व अनुसार इसके भी ४०३२ प्रश्न होते है। __ ३ किस २ दण्डक में पुद्गल परावर्त किये :-सर्व जीवों ने पांच एकेन्द्रिय, तीन विकलेन्द्रिय, तिर्यच पंचेन्द्रिय व मनुष्य इन दश दण्डक में औदारिक पु० परावर्त अनन्त अनन्त वार किये । १ नेरिये, १० भवनपति, १२ वायु काय, १३ संज्ञी तिर्यञ्च पचेन्द्रिय पर्याप्त, १४ संज्ञी मनुष्य पर्याप्त, १५ वाण व्यन्तर, १६ ज्योतिषी, १७ वैमानिक । इन १७ दण्डक में सर्व जीवो ने वैक्रिय पु० परावर्त अनन्त वार किये । २४ दण्डक में तेजस पु० परावर्त, कार्मण पु० परावर्त सर्व जीवों ने अनन्त अनन्त वार किये। १४ नेरिया व देवता का दण्डक १५ संज्ञी 'तिर्यञ्च पचेन्द्रिय, १६ संज्ञी मनुष्य एवं १६ दण्डक में सर्व जीवों ने मन 'पु० परावर्त अनन्त अनन्त वार किये ।
पाँच एकेन्द्रिय को छोडकर १६ दण्डक में सर्व जीवों ने वचन पु०