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जीवो की मार्गणा
३२७
। १८७
-
१५८
७२
-
१०१
५२
१३१ १६८
१३
१६२
१८७ अभाषक मनुष्य - एक संस्थानी में १८८ विभंग ज्ञानी देवताओ में "१८९ तिर्यक् लोक
नो गर्भज त्रस में १६० लवण समुद्र च० इन्द्रिय में १६१ तिर्यक लोक कृष्ण लेशी ।
नो गर्भज में १६२ लव ग समुद्र घ्राणेन्द्रिय में १६३ समुच्चय नपुंसक वेद में १६४ लवणसमुद्र त्रस जीवो में १९५ सम्यग् दृष्टि वैक्रिय शरीर में १९६ तेजो लेशी सम्यग् दृष्टि में १६७ एक वेदी चक्षु इन्द्रिय में १६८ एकान्त मिथ्यात्वी
। अभाषक में १९६ नो गर्भज वैक्रिय ।
मिश्र योगी मे २०० वचन योगी तीन शरीर में २०१ एक वेदी त्रस में २०२ नो गर्भज विभग ज्ञानी में २०३ नो गर्भज वैक्रिय शरीरी
मिथ्यात्वी मे २०४ एकान्त मिथ्यात्व दृष्टि
तीन शरीर में २०५ एकान्त मिथ्यात्व दृष्टि
मरने वालो मे
१०१
१
२२
१५७
१८
१८४
६९
७८
१८९
-
१८९
२६
१५७
१८
३०
१५७