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छः लेश्या
३६६ ख्यातवाँ भाग अधिक । वैमानिक देव को पद्म लेश्या की स्थिति ज० तेजो लेश्या की उ० स्थिति से एक समय अधिक । वैमानिक की उ० दश सागर और अतमुहर्त अधिक । वैमानिक की शुक्ल लेश्या की स्थिति ज० पद्म लेश्या की उ० स्थिति से एक समय अधिक उ० तेतीस सागर और अतर्मुहूर्त अधिक। ___१० लेश्या की गति द्वार:-कृष्ण, नील, कापोत ये तीन अप्रशस्त व अधम लेश्या है जिनके द्वारा जीव दुर्गति को जाता है। तेजो, पद्म और शुक्ल इन तीन धर्म लेश्या के द्वारा जीव सुगति में जाता है।
११ लेश्या का च्यवन द्वार –सर्व लेश्या प्रथम परिणमते समय कोई जीव उपजता व चवता नही तथा लेश्या के अत समय में कोई जीव उपजता व चवता नही। परभव में कैसे चवे ? इसका वर्णनलेश्या पर भव की आई हुई अर्त मुहूर्त गये बाद शेष अन्तमुहूर्त आयुष्य मे बाकी रहने पर जीव परभव के अंदर जावे ।
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