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आराधक विराधक
३७६ १२ गोशाले के मतवाले ज० भवनपति उत्कृष्ट बारहवे देव० तक जावे। __ १३ दर्शन विराधिक स्वलिंगी साधु ज० भवनपति उ० नव ग्रवेयक तक जावे।
१४ आजीवक मतवाले जघन्य भवनपति उत्कृष्ट बारहवे देवलोक तक जावे।
तीन जाग्रिका (जागरणा) श्री वीर भगवन्त को गौतम स्वामी पूछने लगे कि हे भगवन् ! जाग्रिका कितने प्रकार की होती है ?
भगवान्-हे गौतम ! जानिका तीन प्रकार की होती है .१ धर्म जागरणा २ अधर्म जागरणा ३ सुदखु जागरणा
धर्म जागरणा के भेद –धर्म जागरण के चार भेद -१ आचार धर्म, २ क्रिया धर्म, ३ दया धर्म और ४ स्वभाव धर्म।
आचार धर्म के भेद -आचार धर्म के पॉच भेद -१ ज्ञानाचार, २ दर्शनाचार, ३ चारित्राचार, ४ तपाचार, ५ वीर्याचार। इनमे से ज्ञानाचार के ८ भेद, दर्शनाचार के ८ भेद, चारित्राचार के ८ भेद, तपाचार के १२ भेद, वीर्याचार के ३ भेद--एव ३६ भेद हुए।
ज्ञानाचार के भेद .-ज्ञानाचार के ८ भेद -१ ज्ञान सीखने के समय ज्ञान सीखे, २ ज्ञान लेने के समय विनय करे, ३ ज्ञान का बहुमान करे, ४ ज्ञान पढने के यमय यथाशक्ति तप करे, ५ अर्थ तथा