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जैनागम स्तोक संग्रह
अनुगामी ( अर्थात साथ २ रहने वाला) अवधि जान होता है । तियंच और मनप्य का अनुगामी तथा अनानुगामी दोनो प्रकार का होता है । ७ हीयमान - वर्धमान और अवट्टिया द्वार : - नारकी देवता का अवधि ज्ञान अवट्टिया होवे ( न तो घटे और न वढे, उतना ही रहता है ) मनुष्य और तिर्यं च का हीयमान, वर्धमान अथा अवट्टिया एवं तीनो प्रकार का अवधि ज्ञान होता है ।
६- १० पड़वाई और अपड़वाई द्वार : - नारकी देवता का अवधि ज्ञान अपड़वाई होता है और मनुष्य व तिर्यं चका अवधि ज्ञान पड़वाई तथा अपड़वाई [दोनो प्रकार का होता है ।
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