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जैनागम स्तोक संगह धर्म देव के गुण :___ ३ धर्म देव :-आठ प्रवचन माता का सेवन करने वाले, नदवाड विशुद्ध ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, दशविध यति धर्म का पालन करने वाले, बारह प्रकार की तपस्या करने वाले, सतरह प्रकार के संयम का आचरण करने वाले, बावीस परिषह को सहन करने वाले, सत्तावीस गुण सहित, तेतीस अशातना के टालने वाले, १०६ दोष रहित आहार पानी लेने वाले को धर्म देव कहते है। देवाधिदेव के गुण :
४ देवाधिदेव :- चौतीस अतिशय सहित विराजमान पैतीस वचन (वाणी) के गुण सहित, चौसठ इन्द्र के द्वारा पूज्यनीय, एक हजार और अष्ट उत्तम लक्षण के धारक, अट्ठारह दोष रहित व वारह गुणों सहित होते है उन्हे देवाधि देव कहते है । अट्ठारह दोष :
अट्ठारह दोषो के नाम-१ अज्ञान २ क्रोध ३ मद ४ मान ५ माया ६ लोभ ७ रति ८ अरति ६ निद्रा १० शोक ११ असत्य १२ चोरी १३ भय १४ प्राणिवध १५ मत्सर १६ राग १७ क्रीडा प्रसंग १८ हास्य । बारह गुण :
१२ गुणो के नाम १ जहां २ भगवन्त खडे रहे, बैठे समोसरे वहा २ दश बोलों के साथ भगवन्त से बारह गुणा ऊंचा तत्काल अशोक वृक्ष उत्पन्न हो जाता है और भगवन्त के मस्तक पर छाया करता है। २ भगवन्त जहां २ समोसरे वहां २ पांच वर्ण के अचेत फूलो की वृष्टि होती है जो गिरकर घुटने के बराबर ढेर लगा देते है । ३ भगवन्त की योजन पर्यन्त वाणी फैल कर सव के मन का सन्देह दूर करती है। ४ भगवन्त के चौवीस जोड चामर ढलते है ५ स्फटिक रत्न मय पाद पोठ सहित सिंहासन स्वामी के आगे हो जाता है, भामंडल अम्बोडे के