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जैनागम स्तोक सग्रह
करना नही गिना जाता है। अनुक्रम से प्रत्येक प्रदेश मे मर कर समस्त लोक पूर्ण करे।
५ काल से बादर पु० परावर्त :-एक कालचक्र (जिसमे उत्सपिणी व अवसर्पिणी सम्मिलित है) के प्रथम समय मे मरे पश्चात् दूसरे काल चक्र के दूसरे समय मे मरे अथवा तीसरे समय मे मरे एव तीसरे कालचक्र के किसी भी समय मे मरे अर्थात एक काल चक्र के जितने समय होवे उतने काल चक्र के एक २ समय मर कर एक काल वक्र पूर्ण करे ।
६ काल से सूक्ष्म पु० परावर्त :-काल चक्र के प्रथम समय मे मरे अथवा दूसरे काल चक्र के दूसरे समय मे मरे, तीसरे काल चक्र के तीसरे समय में मरे, चौथे काल चक्र के चौथे समय मे मरे, बीच में नियम के बिना किसी भी समय में मरे (यह हिसाब मे नही गिना जाता) एवं काल चक्र के जितने समय होवे उतने काल चक्र के अनुक्रम से नियमित समय में मरे ।
७ भाव से बादर पु० परावर्त :-जीव के असख्यात परिणाम होते है, जिनमें प्रथम परिणाम पर मरे । पश्चात् ३, २, ५, ४, ७, ६ एवं अनुक्रम के बिना प्रत्येक परिणाम पर मरे व मर कर असं० परिणाम पूर्ण करे।
८ भाव से सूक्ष्म पु० परावर्त :-जीव के असं० परिणाम होते है उनमें से प्रथम परिणाम पर मरे । पश्चात् बीच में कितना ही समय जाने बाद दूसरे परिणाम पर व अनुक्रम से तीसरे परिणामे, चौथे परिणामें व असंख्य परिणाम पर मर कर पूर्ण करे ।
३ त्रिसंख्या द्वार १ पुदगल परावर्त :-सर्व जीवो ने कितने किये। २ एक वचन से एक जीव ने २४ दण्डक में कितने पु० परावर्त किये । ३ बहुवचन से सर्व जीवों ने २४ दण्डक में कितने पु० परावर्त किये।