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श्रोता अधिकार
२६७. श्रोता व्याख्यानादि सुनते समय उपदेशक तथा सूत्र के गुण तो निकाल देवे परन्तु स्खलना प्रमुख अवगुण रूप कचरे को ग्रहण कर रक्खे । ऐसे श्रोता छोडने योग्य है।
४ परिपुणग परिपुणग-सुघरी पक्षी के माला का दृष्टान्त । सुघरी पक्षी के माला से घी गालते समय घी घी निकल जावे, परन्तु चीटी प्रमुख कचरा रह जाता है, वैसे एकेक श्रोता आचार्य प्रमुख का गुण त्याग कर अवगुण को ग्रहण कर लेता है। ऐसे श्रोता छोड़ने योग्य है ।
५ हंस हंस-दूध पानी मिला कर पीने के लिये देने पर जैसे हस अपनी चोच से (खटाश के गुण के कारण) दूध दूध पीवे और पानी नही पीवे । वैसे विनीत श्रोता गुर्वादिक के गुण ग्रहण करे व अवगुण न ले, ऐसे श्रोता आदरणीय है ।
६ महिष महिष-भैसा जैसे पानी पीने के लिये जलाशय मे जाये । पानी पीने के लिये जल मे प्रथम प्रवेश करे। पश्चात् मस्तक प्रमुख के द्वारा पानी ढोलने व मल-मूत्र करने के बाद स्वय पानी पीये, परन्तु शुद्ध जल स्वयं नही पीये, अन्य यूथ को भी पीने नही दे । वैसे कुशिष्य श्रोता व्याख्यानादि मे क्लेश रूप प्रश्नादि करके व्याख्यान डोहले, स्वय शान्तियुक्त सुने नही व अन्य सभाजनो को शान्ति से सुनाने देवे नही । ऐसे श्रोता छोडने योग्य है।
७ मेष मेष-वकरा जैसे पानी पीने को जलाशय प्रमुख मे जाये तो किनारे पर ही पॉव नीचे नमा करके पानी पीवे, डोहले नही व अन्य