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जैनागम स्तोक सग्रह पानी प्रमुख बराबर गाय को नही देवे, जिससे गाय भूख तृषा से पीडित होकर दूध में सूखने लग जाती है व दुःखी हो जाती है । वैसे ही एकेक श्रोता (अविनीत) आहार पानी प्रमुख वैयावच्च नही करने से गुर्वादिक का शरीर ग्लानि पावे व जिससे सूत्रादिक में घाटा पड़ने लग जाता है तथा अपयश के भागी होते है ।
दूसरा प्रकार-एक सेठ पड़ोसी को दूधवती गाय सौप कर गॉव गया। पड़ोसी के घास पानी प्रमुख अच्छी तरह देने से दूध मे वृद्धि होने लगी तथा वह कीर्ति का भागी हुआ । वैसे एकेक विनीत श्रोता (शिष्य) गुर्वादिक की आहार पानी प्रमुख वैय्यावच्च विधिपूर्वक करके गुर्वादिक को साता उपजावे, जिससे ज्ञान में वृद्धि होवे व साथ-साथ उसको भी यश मिले । ऐसे श्रोता आदरने योग्य है।
१३ भेरी भेरी-इसके दो प्रकार. प्रथम प्रकार--भेरी को बजाने वाला पुरुष यदि राजा की आज्ञानुसार भेरी बजावे तो राजा खुशी होकर उसे पुष्कल द्रव्य देवे वैसे ही विनीत शिष्य-श्रोता तीर्थकर तथा गुर्वादिक की आज्ञानुसार सूत्रादिक की स्वाध्याय तथा ध्यान प्रमुख अंगीकार करे तो कर्म रूप रोग दूर होवे और सिद्ध गति में अनन्त लक्ष्मी प्राप्त करे यह आदरने योग्य है।
दूसरा प्रकार भेरी बजाने वाला पुरुष यदि राजा की आज्ञानुसार भेरी नही बजावे तो राजा कोपायमान होकर द्रव्य देवे नही वैसे ही अविनीत शिष्य (श्रोता) तीर्थकर की तथा गुर्वादिक की आज्ञानुसार सूत्रादिक का स्वाध्याय तथा ध्यान करे नही तो उनका कर्म
रूप रोग दूर होवे नही व . सिद्ध गति का सुख प्राप्त करे नही यह • छोड़ने योग्य है। '' ;