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जैनागम स्तोक संग्रह २ सास्वादान समदृष्टि में-भाव ३, (उदय, क्षयोपशम, पारिणामिक), आत्मा ७, लब्धि ५, वीर्य १ बाल वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १६ (पाच स्थावर छोड़कर); पक्ष १ शुक्ल । ____३ उपशम समदृष्टि में-भाव ४ (क्षायक छोड़कर), आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३ दृष्टि १, भव्य १, दंडक १६ (पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय छोड़कर), पक्ष १ शुक्ल ।
४ वेदक समदृष्टि में-भाव ३, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १, समकित, भव्य १, दंडक १६ ऊपर प्रमाणे, पक्ष १ शुक्ल ।
५ क्षायक समदृष्टि मे-भाव ४ ( उपशम छोड़कर ) आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १, भव्य १, दडक १६ पक्ष १ शुक्ल ।
६ मिथ्यात्व दृष्टि में-भाव ३, आत्मा ६, लब्धि ५, वीर्य १, दृष्टि १, भव्य अभव्य २, दडक २४, पक्ष २। _____७ मिश्र दृष्टि में भाव ३, आत्मा ६, लब्धि ५, वीर्य १, बाल वीर्य, दृष्टि १, भव्य १, दडक १६, पक्ष १ शुक्ल ।
१० समुच्चय ज्ञान द्वार के १० भेद १ समुच्चय ज्ञान मे-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १, भव्य १, दडक १६, पक्ष १ शुक्ल ।
२ मति ज्ञान ३ श्र त ज्ञान में-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दष्टि १ भव्य १ दडक १६, पक्ष १ शुक्ल ।
४ अवधि ज्ञान में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि १ भव्य १, दडक १६ पक्ष १ शुक्ल ।
५ मन: पर्याय ज्ञान में-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य १ दृष्टि । १, दंडक १, मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल ।