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बावन बोल
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६ केवल ज्ञान मे-भाव ३, (उदय क्षायक, पारिणामिक) आत्मा ७ (कषाय छोडकर) लब्धि ५, वीर्य १, भव्य १, दण्डक १, पक्ष १;।
७ समुच्चय अज्ञान ८ मति अज्ञान ६ श्रु त अज्ञान मे-भाव तीन; आत्मा ६, लब्धि ५, वीर्य १ बाल वीर्य, दृष्टि १ मिथ्यात्व दृष्टि, भव्य अभव्य २, दंडक २४ पक्ष २।
१० विभङ्ग ज्ञान मे-भाव ३ (उदय, क्षायोपशम पारिणामिक), आत्मा ६ (ज्ञान चारित्र छोड कर), लब्धि ५, वीर्य १ वाल वीर्य, दृष्टि. १ मिथ्यात्व, भव्य अभव्य २, दडक १६ (पांच स्थावर तीन विकलेन्द्रिय छोड कर) पक्ष २।
११ दर्शन द्वार के ४ भेद १ चक्षु दर्शन मे—भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दडक १७, पक्ष २ ।
२ अचक्षु दर्शन मे भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दडक २४, पक्ष २ ।
३ अवधि दर्शन में-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दडक १६, पक्ष २।
४ केवल दर्शन मे-भाव ३, आत्मा ७ (कषाय छोड़ कर) लब्धि ५, वीर्य १, पडित, दृष्टि १ समकित, भव्य, दडक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल ।
१२ समुच्चय सयति का ६ भेद १ सयति मे-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य १ पडित, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १, पक्ष १, शुक्ल ।
२ सामायिक चारित्र व छेदोपस्थानिक चारित्र में भाव ५,