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बड़ा बासठिया
२७१ और तीसरा छोड़कर, योग १५, उपयोग ह-पांच ज्ञान और चार दर्शन, लेश्या ६।
२ मिथ्यादृष्टि मे-जीव का भेद १४, गुणस्थानक १, योग १३ आहारक के दो छोड़कर, उपयोग ६-३ अज्ञान और ३ दर्शन, लेश्या ६ ।
सम्यक् दृष्टि प्रमुख बोल मे रहे हुवे जीवो का अल्पबहुत्व-१ सब से कम मिश्र दृष्टि २ इस से सम्यक् दृष्टि अनन्त गुणा ३ इस से मिथ्या दृष्टि अनन्त गुणा।
१० ज्ञान द्वार -१ समुच्चय ज्ञान मे-जीव का भेद ६ सम्यक दृष्टि वत्, गुणस्थानक १२, योग १५, उपयोग ६, लेश्या ६ सम्यक दृष्टि वत्।
२-३ मति ज्ञान श्रु त ज्ञान मे-जीव का भेद ६ सम्यक् दृष्टि वत्, गुणस्थानक १० पहेला, तीसरा, तेरहवा, चौदहवां छोड़कर, योग १५, उपयोग ७, ४ ज्ञान और ३ दर्शन, लेश्या ६ ।
४ अवधि ज्ञान मे-जीव का भेद २ सज्ञी का, गुणस्थानक १० मति ज्ञानवत्, योग १५, उपयोग ७, लेश्या ६।।
५ मन : पर्यव ज्ञान मे-जीव का भेद १ सज्ञी का पर्याप्त, गुणस्थानक ७ छ8 से बारहवे तक, योग १४ कार्मण को छोडकर, उपयोग ७, लेश्या ६ ।
६ केवल ज्ञान मे-जीव का भेद १ संज्ञी पर्याप्त, गुणस्थानक २तेरहवां चौदहवां, योग ७-सत्य मन, सत्य वचन व्यवहार मन, व्यवहार वचन, दो औदारिक का, एक कार्मण एवं ७, उपयोग दो-केवल के, लेश्या १ शुक्ल ।
७-८-६ समुच्चय अज्ञान, मति अज्ञान, श्रत अज्ञान-इन तीन मे जीव का भेद १४, गुणस्थान २-पहला और तोसरा, योग १३-आहारक के दो छोड़-कर, उपयोग ६-तीन अज्ञान तीन दर्शन, लेश्या ६ ।