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बावन बोल पहला द्वार-समुच्चय जीव का।
१ समुच्चय जीव मे-भाव ५, उदय, उपशम, क्षायक, क्षयोपशम, पारिणामिक । आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य २, दण्डक २४ पक्ष २।
१गति द्वार के ८ भेद १ नारकी मे-भाव ५, आत्मा ७, ( चारित्र छोड कर) लब्धि ५, वीर्य १ वाल वीर्य, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक १ नारकी का, पक्ष २।
१ तिर्यच मे-भाव ५, आत्मा ७ ( चारित्र छोड कर ) लब्धि ५, वीर्य १-वाल वीर्य व बाल पडित वीर्य, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक ६ पांच स्थावर तीन विकलेइन्द्रिय, एक तिर्यंच पचेन्द्रिय, पक्ष २ ।
तिर्यंचनी मे-भाव ५, आत्मा ७ ऊपरवत्, लब्धि ५, वीर्य दो दृष्टि ३ भव्य अभव्य २ दण्डक १ पक्ष दो।
४ मनुष्य में-भाव ५, आत्मा ८ लब्धि ५ वीर्य ३ दृष्टि ३ भव्य अभव्य २, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष २ ।
५ मनुष्यनी मे-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भध्य अभव्य २, दण्डक १ पक्ष २ ।
६ देवता में-भाव ५, आत्मा ७ ( चारित्र छोड़ कर ) लब्धि ५, वीर्य १, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक १३ देवता का, पक्ष २ ।
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